केजरीवालः भारतीय राजनीति का सूर्योदय
[HIGHLIGHT:एक तरफ मोदीजी अपनी ताजपोशी को यादगार बनाने के लिये भारतीय सैनिकों के लाश का मांस पकवाने में लग गये है ताकि उनके मेहमानों को लजीज पकवान परोसा जा सके, तो दूसरी तरफ केजरीवाल ....]
[HIGHLIGHT:एक तरफ मोदीजी अपनी ताजपोशी को यादगार बनाने के लिये भारतीय सैनिकों के लाश का मांस पकवाने में लग गये है ताकि उनके मेहमानों को लजीज पकवान परोसा जा सके, तो दूसरी तरफ केजरीवाल ....]
जो लोग राजनीति शास्त्र का अध्ययन करतें हैं या जो इन बातों को गंभीरता से पढ़तें हैं उनके दिमाग में एक बात जरूर कोंघ रही होगी कि केजरीवाल ने आखिर जेल जाना क्यूं स्वीकार किया वनिस्पत कि वह भी आम कैदी की तरह बेल बॉन्ड पर हस्ताक्षर कर अदालत से बहार आ सकते थे।
जबकि भाजपा इस बात को अभी से मानने लगी है कि ‘आप’ उनके लिये एक बड़ी राजनीति चुनौती है।
देश की तमाम विपक्ष को घुटनों के बल उठक-बैठक करा देने वाली भाजपा के चेहरे पर अभी भी ‘आप’ का खौफ बना हुआ है। संसद के भीतर पूर्ण बहुमत मिलने के वाबजूद ‘आप’ पर भाजपा का, आक्रमक हमला आज भी जारी है, मानो चुनाव अभी चल ही रहा है। भाजपा की आघी से अधिक ताकत इस बात में लगी है कि किस प्रकार 'केजरीवाल' को समाप्त किया जा सके।
जबकि भाजपा इस बात को अभी से मानने लगी है कि ‘आप’ उनके लिये एक बड़ी राजनीति चुनौती है।
देश की तमाम विपक्ष को घुटनों के बल उठक-बैठक करा देने वाली भाजपा के चेहरे पर अभी भी ‘आप’ का खौफ बना हुआ है। संसद के भीतर पूर्ण बहुमत मिलने के वाबजूद ‘आप’ पर भाजपा का, आक्रमक हमला आज भी जारी है, मानो चुनाव अभी चल ही रहा है। भाजपा की आघी से अधिक ताकत इस बात में लगी है कि किस प्रकार 'केजरीवाल' को समाप्त किया जा सके।
एक तरफ मोदीजी अपनी ताजपोशी को यादगार बनाने के लिये भारतीय सैनिकों के लाश का मांस पकवाने में लग गये है ताकि उनके मेहमानों को लजीज पकवान परोसा जा सके, तो दूसरी तरफ केजरीवाल के जेल चले जाने से मोदी की ताजपोशी से सारा ध्यान हटकर लोगों का ध्यान केजरीवाल की तरफ चला गया। देश के तमाम अखबारों में केजरीवाल छाये हुए हैं। वहीं मोदी की ताजपोशी पर विवादित बहस होने लगी।
भले ही 16वीं लोकसभा में भाजपा ने जीत का दायरा इनता बड़ा बना लिया कि तमाम विपक्ष उसके कद के सामने बौने साबित होने लगे। तो वहीं महज 4 सांसदों की जीत से उत्साहित कल की जन्मी ‘‘आम आदमी पार्टी’’ ने भाजपा को आज भी बेकफुट पर डाल रखा है।
चुनाव के समय भी भाजपा को जितनी ताकत कांग्रेस को संभालने में खर्च नहीं करनी पड़ी, उससे कहीं 100 गुणा ताकत भाजपा को ‘आप’ को राजनीति जबाब देने में लगानी पड़ी। कई जगह तो भाजपा को आर.एस.एस के गुण्डों का भी प्रयोग करना पड़ा था।
इसे भारतीय राजनीति में एक नये उदय के रूप में देखा जा रहा है। जिस समय संसद में मोदी का बोलबाला रहेगा, भाजपा के लूटेरे जब देश को लूटने की चेष्टा करेंगे, तो वैसी स्थिति में महज 4 सीटों में विजय प्राप्त करनेवाली ‘आप पार्टी’ भाजपा को नाकों चने चबा कर रख देगी।
जो मीडिया वाले केजरीवाल को मजाक बनाने की हरकत में लगें हैं, वह यह न समझे की देश का लोकतंत्र मर चुका है। अभी तो भारतीय राजनीति का सूर्योदय हुआ है।
भले ही 16वीं लोकसभा में भाजपा ने जीत का दायरा इनता बड़ा बना लिया कि तमाम विपक्ष उसके कद के सामने बौने साबित होने लगे। तो वहीं महज 4 सांसदों की जीत से उत्साहित कल की जन्मी ‘‘आम आदमी पार्टी’’ ने भाजपा को आज भी बेकफुट पर डाल रखा है।
चुनाव के समय भी भाजपा को जितनी ताकत कांग्रेस को संभालने में खर्च नहीं करनी पड़ी, उससे कहीं 100 गुणा ताकत भाजपा को ‘आप’ को राजनीति जबाब देने में लगानी पड़ी। कई जगह तो भाजपा को आर.एस.एस के गुण्डों का भी प्रयोग करना पड़ा था।
इसे भारतीय राजनीति में एक नये उदय के रूप में देखा जा रहा है। जिस समय संसद में मोदी का बोलबाला रहेगा, भाजपा के लूटेरे जब देश को लूटने की चेष्टा करेंगे, तो वैसी स्थिति में महज 4 सीटों में विजय प्राप्त करनेवाली ‘आप पार्टी’ भाजपा को नाकों चने चबा कर रख देगी।
जो मीडिया वाले केजरीवाल को मजाक बनाने की हरकत में लगें हैं, वह यह न समझे की देश का लोकतंत्र मर चुका है। अभी तो भारतीय राजनीति का सूर्योदय हुआ है।
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