स्मृति इरानी के बचाव में उतरी पाचवी पढ़ी उमा भारती
....कमाल है
भारतवर्ष का भविष्य जिन महान मंत्रियों के जिम्मे है इनमें
से कुछ की योग्यता देखिए:
1. उमा भारती - पांचवी पास
2. मेनका गांधी - १२ वीं पास
३. अशोक गजपति राजू - १०वीं पास
४. अनंत गीते- १०वीं पास
५. हरसिमत कौर बादल - १०वीं पास
६. स्मृति ईरानी -१२वीं पास
७. जी एम सिद्धेश्वर -१०वीं पास
८. विष्णु देव साय- १०वीं पास
और"मजेदार"बात तो यह है कि यह सभी मंत्री महोदय ए
वं महोदया खूब आंख-फोड पढ़ाई कर चुके प्रशासनिक अधिकारियों
पर अपना हुकम बजाएंगे /बजाएंगी और बाकी जनता तो अच्छे
दिन देखेगी ही।
धन्य है भाई ..
राज्यसभा सांसद स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर सवाल उठने बंद नहीं हो रहे। स्मृति ईरानी को ग्रैजुएट भी नहीं होते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री जैसा पद देने पर कांग्रेस नेता अजय माकन ने कल निशाना साधा था। जिसके बाद कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बीच तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई है। उधर मोदी की समर्थक मानी जाने वाली लेखिका और पत्रकार मधु किश्वर ने भी स्मृति की शिक्षा को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
गौरतलब है कि माकन ने कल ट्वीट कर कहा था कि क्या कैबिनेट है मोदी की ? मानव संसाधन विकास मंत्री ग्रैजुएट भी नहीं हैं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उनका हलफनामा भी यही कहता है। माकन के इस बयान को सरकार ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। खुद कैबिनेट मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने इस बयान को लेकर कांग्रेस को आत्मचिंतन की सलाह दी।
लेखिका मधु किश्वर ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय डॉक्टर हर्षवर्धन को देना एक अच्छा फैसला है लेकिन स्मृति ईरानी जिन्होंने एक ‘नालायक’ सी 12वीं पास की है और ऐसे पास की कि उन्हें किसी कॉलेज में एडमिशन तक नहीं मिला। वो दो बार चुनाव हार के आईं। इतनी बड़ी मोदी लहर में भी जीत नहीं पाईं। तो एक तरफ 8-8 बार चुनकर आए लोग बाहर बैठे हैं और दूसरी तरफ हारी हुई स्मृति ईरानी जिनकी ग्रैजुएशन तक पूरी नहीं हुई उनपर देश की शिक्षा व्यवस्था संभालने का जिम्मा डाल दिया गया है, ये सही नहीं है।
दिल दुखता है ये सोच-सोच कर कि कितना संघर्ष किया है ईरानी ने, कितना रोयी है बेचारी अपने जीवन में (यक़ीन न हो तो 'क्यूँकि सास भी कभी बहू थी' के एपिसोड दोबारा देख लो) और अब जबकि उसके अच्छे दिन आये हैं तो पड़ गया ज़माना हाथ धोके पीछे। किसी का थोड़ा सा भी सुख देखा नहीं जाता इस निगोड़े ज़माने से। अरे 12 वीं पास है कोई अनपढ़ तो नहीं है। हिन्दी अंग्रेजी अच्छे से बोल लेती है। मोदी की फेवरेट है। और एक्टिंग बख़ूबी कर लेती है। और क्या चाहिए एक मन्त्री में भला बताओ? अच्छा चलो बताओ कि अगर पीएचडी होती तो कौन सा तुम उसे शिक्षा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित कर देते? अरे जिस भारत में 90% पीएचडी जुगाड़ से होती हों वहाँ ऐसी ही एक डिग्री का जुगाड़ करना कौन सा मैक्सवेल का विकेट लेना हो गया? सच बताके ग़लती कर दी न कि 12 वीं पास है। अरे छोडो यार..... जब एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है तो एक 12 वीं पास HRD मिनिस्टर क्यूँ नहीं? अरे पढाई में ब्लैक-बेल्ट मनमोहन सिंघ के शासन-काल में हिन्दुस्तान ने कौन से झण्डे गाड़ दिए? दुनिया के टॉप 200 तकनीकी संस्थानों में मेरे भारत महान का एक भी नहीं है। छोड़ो यार वापस आते हैं ईरानी पे। हाँ तो पढ़ लेगी कोई उमर थोड़े ही निकल गयी अभी। ये नहीं देख रये कि कितना नैतिक साहस दिया है मैडम ने उन करोड़ों लोगों को जो सिर्फ़ 12 वीं पास होने और आगे ना पढ़ पाने की वजह से हीन भावना पाले बैठे थे। जब कोई अपना-सा मिलता है तो कितने सुख की प्राप्ति होती है। अरे मिला था इससे पहले कभी इतना आत्मविश्वास उन लोगों को जो 12 वीं से ज़्यादा पढ़ गए? आज नाप लो उन लोगों का सीना। डेढ़ इन्च बढ़ गया होगा। अरे यार हम चाँद पे पहोंच गये हैं अभी और आगे जाना है। क्या 12 वीं पे अटके रहेंगे? बाकी भगवान सब देख रहा है।
दिल दुखता है ये सोच-सोच कर कि कितना संघर्ष किया है ईरानी ने, कितना रोयी है बेचारी अपने जीवन में (यक़ीन न हो तो 'क्यूँकि सास भी कभी बहू थी' के एपिसोड दोबारा देख लो) और अब जबकि उसके अच्छे दिन आये हैं तो पड़ गया ज़माना हाथ धोके पीछे। किसी का थोड़ा सा भी सुख देखा नहीं जाता इस निगोड़े ज़माने से। अरे 12 वीं पास है कोई अनपढ़ तो नहीं है। हिन्दी अंग्रेजी अच्छे से बोल लेती है। मोदी की फेवरेट है। और एक्टिंग बख़ूबी कर लेती है। और क्या चाहिए एक मन्त्री में भला बताओ? अच्छा चलो बताओ कि अगर पीएचडी होती तो कौन सा तुम उसे शिक्षा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित कर देते? अरे जिस भारत में 90% पीएचडी जुगाड़ से होती हों वहाँ ऐसी ही एक डिग्री का जुगाड़ करना कौन सा मैक्सवेल का विकेट लेना हो गया? सच बताके ग़लती कर दी न कि 12 वीं पास है। अरे छोडो यार..... जब एक चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है तो एक 12 वीं पास HRD मिनिस्टर क्यूँ नहीं? अरे पढाई में ब्लैक-बेल्ट मनमोहन सिंघ के शासन-काल में हिन्दुस्तान ने कौन से झण्डे गाड़ दिए? दुनिया के टॉप 200 तकनीकी संस्थानों में मेरे भारत महान का एक भी नहीं है। छोड़ो यार वापस आते हैं ईरानी पे। हाँ तो पढ़ लेगी कोई उमर थोड़े ही निकल गयी अभी। ये नहीं देख रये कि कितना नैतिक साहस दिया है मैडम ने उन करोड़ों लोगों को जो सिर्फ़ 12 वीं पास होने और आगे ना पढ़ पाने की वजह से हीन भावना पाले बैठे थे। जब कोई अपना-सा मिलता है तो कितने सुख की प्राप्ति होती है। अरे मिला था इससे पहले कभी इतना आत्मविश्वास उन लोगों को जो 12 वीं से ज़्यादा पढ़ गए? आज नाप लो उन लोगों का सीना। डेढ़ इन्च बढ़ गया होगा। अरे यार हम चाँद पे पहोंच गये हैं अभी और आगे जाना है। क्या 12 वीं पे अटके रहेंगे? बाकी भगवान सब देख रहा है।
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