Tuesday, 5 August 2014

Arvind Kejriwal

आज मैं बोलता हूँ अरविंद
केजरीवाल ने
जो भी किया सही किया।
दिल्ली में सरकार बनाकर भी ठीक
किया फिर सत्ता छोड़के
भी सही किया। पुरे देश में 300 से अधिक प्रत्याशी खड़ाकर
भी सही किया था। मोदी के
खिलाफ लड़ने
का फैसला भी बिलकुल वाजिब
था। वो देश के आम
आदमी का प्रतिनिधित्व करता हैं और देश का आम
आदमी ही आज की तारीख में
दुस्साहस कर सकता हैं। लेकिन देश
की जनता के एक
बड़ा तबका को आज
भी नेता ,मंत्री को कई गाड़ियों के काफिले में देखने का शौक हैं। उन्हें
अच्छा लगता हैं ट्रैफिक में इंतजार
कर लालबत्ती को सायरन बजाते
निकलते देखना। उन्हें हजम
नहीं होता कि उनके बीच
का ही कोई साधारण आम आदमी उनका प्रतिनिधित्व
करे। आम आदमी पार्टी के पास
दिल्ली में बहुमत नहीं था पर
दूसरी बड़ी पार्टी होने
की जिम्मेदारी निभाई और
आज़ाद भारत में पहली बार 49 दिनों में
ही बता दिया लोकतान्त्रिक
सरकार किसे कहते हैं। कांग्रेस
का साथ देना राजनीतिक चाल
थी इसलिए वे जनलोकपाल पर
साथ नहीं दिए। अब सबसे बड़ी राजनीतिक
शुचिता वाली पार्टी इन्हीं कांग्रेस
और आप को तोड़ सरकार बनाने
की कोशिश कर रही हैं
तो मेरा सवाल उस
कुलभक्षी मीडिया से हैं जो 49 दिनों में आम आदमी पार्टी के
सरकार और उनके मंत्रियों के
टॉयलेट पर भी नज़र रखने वाले
तुम्हारें कैमरे कहाँ हैं ? ...और कहाँ हैं
तुम्हारा जनसरोकार ,पारदर्शिता ,निष्पक्षता और
स्वतंत्रता ?

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