एक बार एक पजामा पहने हुए हिन्दुस्तानी से ...
एक अंग्रेज ने पूछा की ... आप का ये देशी पैंट
( पजामा ) कितने दिन चल जाता है ...
हिन्दुस्तानी ने जवाब दिया कुछ ख़ास नही ... मै
इसे एक साल पहनता हूँ ... उसके बाद
श्रीमति जी इसको ... काट कर बंटी के साइज़
का बना देती है ... फिर बंटी इसे एक साल
पहनता है ... उसके बाद श्रीमति जी इसको काट
छांट कर ... तकियों के कवर बना लेती है ...
फिर एक साल बाद उन कवर का ... झाड पौंछ में
इस्तेमाल करते हैं ...
अंग्रेज बोला ... अब फैंक देते होगे ...
हिन्दुस्तानी ने फिर कहा ... नही नही इसके बाद
6 महीने तक ... मै इस से अपने जूते साफ़
करता हूँ ... और अगले 6 महीने तक ... बाइक
का साइलेंसर चमकाता हूँ ... तब जाकर फैकते
है ...
इतना सुनते ही ... अंग्रेज रफू चक्कर
हो जाता है ... किसी भी चीज का सम्पूर्ण
इस्तेमाल ... कोई हम हिन्दुस्तानियों से
सीखे .......
एक अंग्रेज ने पूछा की ... आप का ये देशी पैंट
( पजामा ) कितने दिन चल जाता है ...
हिन्दुस्तानी ने जवाब दिया कुछ ख़ास नही ... मै
इसे एक साल पहनता हूँ ... उसके बाद
श्रीमति जी इसको ... काट कर बंटी के साइज़
का बना देती है ... फिर बंटी इसे एक साल
पहनता है ... उसके बाद श्रीमति जी इसको काट
छांट कर ... तकियों के कवर बना लेती है ...
फिर एक साल बाद उन कवर का ... झाड पौंछ में
इस्तेमाल करते हैं ...
अंग्रेज बोला ... अब फैंक देते होगे ...
हिन्दुस्तानी ने फिर कहा ... नही नही इसके बाद
6 महीने तक ... मै इस से अपने जूते साफ़
करता हूँ ... और अगले 6 महीने तक ... बाइक
का साइलेंसर चमकाता हूँ ... तब जाकर फैकते
है ...
इतना सुनते ही ... अंग्रेज रफू चक्कर
हो जाता है ... किसी भी चीज का सम्पूर्ण
इस्तेमाल ... कोई हम हिन्दुस्तानियों से
सीखे .......
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